थार मरुस्थल का असली जादू तब दिखाई देता है जब पहली बारिश की बूँदें तपती रेत पर पड़ती हैं। महीनों से सूखी धरती अचानक मिट्टी की खुशबू से महक उठती है। आसमान से बरसते बादल जब रेत को भीगते हैं, तो कुछ ही दिनों में तो लगता है जैसे किसी ने रेगिस्तान पर हरियाली की चादर बिछा दी हो।

रेत का वह अंतहीन समंदर, जो तपिश में जलता था, अब नन्हीं-नन्हीं घास से ढक जाता है। जहाँ गर्मियों में रेत की लहरें उठती थीं, वहीं अब हरे-भरे मैदान झूमने लगते हैं। खेतों में बाजरा, मूँग, ग्वार और तिल की बालियाँ खिलखिला उठती हैं। दूर तक बिखरी हरियाली यह संदेश देती है कि जीवन कितना सहनशील और सुंदर हो सकता है।

बरसात के बाद की यह ताजगी केवल प्रकृति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इंसानों ,पशुओं एंव वन्यजीवो के जीवन में नयी ऊर्जा भर देती है। ऊँट और मवेशी खुले मैदानों में चरने लगते हैं, चरवाहों की बांसुरी गूंज उठती है, और घास के मैदानों में त्योहार-सा माहौल बन जाता है।
थार का यह बदला हुआ रूप देखकर लगता है मानो कोई कठोर इंसान अचानक मुस्कुराने लगा हो। बरसात यहां सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि जीवन का पुनर्जन्म है।
मौसम का उत्सव

बरसात के बाद थार मरुस्थल मानो सांसें लेकर जी उठता है। रेगिस्तान की हर एक चीज़ खुश दिखाई देती है और अपने इस मौसम का आनंद ले रही है। रेत के टीलों पर हरी घास की चादर मुस्कुरा रही है, खेतों में फसलें लहराकर गीत गा रही हैं, चिंकारा और हिरण कुलाँचें भरते हुए मानो उत्सव मना रहे हैं।

पक्षियों का कलरव सुबह से ही आकाश को संगीत से भर देता है और गाँव के लोग अपने काम में भी एक नई उमंग महसूस करते हैं। थार की यह तस्वीर हमें यह एहसास कराती है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवन अवसर तलाश लेता है और खुशी का कारण ढूँढ ही लेता है। यह प्रकृति का भी संतुलन है – जहाँ मौसम और भोजन की उपलब्धता सीधे प्रजनन पर असर डालते हैं। पर्याप्त भोजन मिलने पर पक्षियों को अपनी संतानों के जीवित रहने की संभावना अधिक नज़र आती है, इसलिए वे प्रजनन को दोहरा भी देते हैं
रेगिस्तान की शाम और मन की शांति

अगर आप थार की रेत पर एक शांत शाम बिताएँगे, तो आपको एहसास होगा मानो पूरी दुनिया की भागदौड़ अचानक थम गई हो। ढलते सूरज की सुनहरी किरणें जब टीलों पर बिखरती हैं और हल्की ठंडी हवाएँ चेहरे को छूती हैं, तो लगता है जैसे मन का बोझ धीरे-धीरे उतर रहा हो।

उस पल में आपका शरीर हल्का लगने लगता है, मानो कोई प्राकृतिक Detox हो गया हो। आपके भीतर की सारी थकान और तनाव मिट्टी की खुशबू और हवा की ताजगी में घुल जाता है। रेगिस्तान की इस शांति में बैठकर इंसान खुद को प्रकृति के और भी करीब महसूस करता है।